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रिश्ते


सोचते रहे हम, कफ़न की जंजीर में पड़े हुए,
मुकद्दर को कुछ और ही नसीब था, क्योंकि.....
हम अपनों से थे इस कदर डरे हुए ।

@Kavi Anjaan


 

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