Ticker

6/recent/ticker-posts

जीवन की हकीकत

जीने को जरूरी रन रेट थी 15 की, 
मैं 10 से रन बनाता रहा और हारता रहा ।

अपने नसीहत देते, दोस्त हैसियत देते 
बाकी बचे नफ़रत की फजीहत देते। 

गुरूर को छुपाकर रखा, कहीं अहंकार ना समझ बैठे ।
पर लोग चालक थे उसी को हकीकत समझ बैठे । 

कश्ती ने किनारा तो ढूँढा कई बार,
पर डूबी किनारे पर तो रहमत समझ बैठे ।

शक्लों में अपनों को ढूँढता रहा "अनजान"
ज़ज्बात बताये तो वो नफ़रत समझ बैठे। 

किस्से कहानियों से भी झूठे हैं ये रिश्ते,
नजदीकी बढ़ाई तो वो हरकत समझ बैठे। 

आकाश की ऊंचाईयों में उड़ने को चाहा,
साथ उनको लिया तो वो जहमत समझ बैठे। 

@Kavi Anjaan

Post a Comment

0 Comments